Thursday, October 31, 2024

मौत की सांस (Breath of Death) डॉक्यूमेंट्री फिल्म

 Web series -

ब्रेथ ऑफ डेथ

एपिसोड- मौत की सांस - ep-1

1) https://youtu.be/LDlF--3ooUs

एपिसोड- 2) https://youtu.be/5KjvXnkjohQ https://youtu.be/5KjvXnkjohQ

एपिसोड- 3) https://youtu.be/TbqmzT2vMQQ

एपिसोड- 4) https://youtu.be/tMylFusl5tc

एपिसोड- 5)  https://youtu.be/T3b3HfPSLFs


*मौत की सांस* (Breath of Death) नामक इस शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म में उन खाद्य पदार्थों और हानिकारक सामग्रियों के बारे में बताया गया है जिन्हें हम अनजाने में निगल रहे हैं या सांस के माध्यम से अपने शरीर में ले रहे हैं। इस फिल्म का मकसद है लोगों को जागरूक करना कि वे अपने दैनिक जीवन में जिन वस्तुओं का उपयोग कर रहे हैं या जिन खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं, वे उनके स्वास्थ्य के लिए कितनी हानिकारक हो सकती हैं। 


फिल्म के माध्यम से यह दिखाया गया है कि किस प्रकार से हम खाने-पीने की चीज़ों में उपस्थित रासायनिक पदार्थों, संरक्षक, और मिलावट का सेवन कर रहे हैं जो हमारे शरीर के लिए धीरे-धीरे ज़हर का काम कर रहे हैं। साथ ही, हमें सांस के माध्यम से पर्यावरण में मौजूद प्रदूषक तत्वों और हानिकारक गैसों का भी सामना करना पड़ता है जो हमारे स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं।


*मकसद वाक्य:* हम अनजाने या जानबूझकर  मौत को निगलते है (Swallowing Un/knowingly the Death)


यह शॉर्ट फिल्म लोगों को यह समझाने का प्रयास करती है कि हमें अपने खाने-पीने की चीज़ों और दैनिक उपयोग की वस्तुओं के बारे में सचेत रहना चाहिए और स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली अपनानी चाहिए। फिल्म एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि जागरूकता और सतर्कता ही हमें सुरक्षित और स्वस्थ जीवन जीने में मदद कर सकती है।



 अन्न आणि हवेतून कॅन्सर कसा होतो ...

2 वर्ष अभ्यास करून तयार केलेली डॉक्युमेंटरी फिल्म ...    



• मौत की सांस फ़िल्म | BR...  ​ ‪@cmmstudios‬​#charushilmane​ #advmane​ #hingoli​ #cancer​ #food​ #health​ #arogya​ #आरोग्य​ #चारुशीलमाने​ ##cluart​

Friday, July 12, 2024

FSSAI का जोरदार एक्शन, खाने की चीज में मिलावट की शिकायत कर सकेंगे, FSSAI ने किया एप लॉन्च

 


FSSAI का जोरदार एक्शन, खाने की चीज में मिलावट की शिकायत कर सकेंगे, FSSAI ने किया एप लॉन्च Complaint by mobile app

FSSAI ने एक मोबाइल ऐप लॉन्च किया है जिसकी मदद से आप किसी भी खाद्य पदार्थ में मिलावट की शिकायत कर सकेंगे। इस ऐप का नाम फूड सेफ्टी कनेक्ट (Food Safety Connect) है और आप इसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं।

देश में खाद्य पदार्थों में मिलावट तेजी से बढ़ रही है। मसालों से लेकर शहद आदि तक में मिलावट हो रही है। सब्जियों को हानिकारक रंगों में रंगकर बेचा जा रहा है। हाल ही में दो बड़े मसाला ब्रांडों पर विदेश में प्रतिबंध लगा दिया गया और मसाले वापस कर दिये गये। खाने-पीने की चीजों में मिलावट की पहचान करना बेहद मुश्किल काम है, लेकिन अब फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने इसे आसान बना दिया है।

FSSAI ऐप के जरिए कर सकेंगे शिकायत complaint by mobile app

FSSAI ने एक मोबाइल ऐप लॉन्च किया है जिसकी मदद से आप किसी भी खाद्य पदार्थ में मिलावट की शिकायत कर सकेंगे। अथवा इस ऐप में किसी भी ब्रांड का FSSAI लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन नंबर चेक करने का भी विकल्प है।


इस ऐप के जरिए सरकार की ओर से ग्राहकों को समय-समय पर सलाह भी जारी की जाती है। अगर आपको किसी भी चीज में मिलावट की शिकायत है। ऐप डाउनलोड करने के बाद आपको मोबाइल नंबर या ई-मेल आईडी के जरिए लॉगइन करना होगा। शिकायत दर्ज करने के बाद आप उसका स्टेटस भी जान सकें

Wednesday, May 1, 2024

चिकन के शौकीन हैं तो इसे न पढ़ना बहुत बड़ी भूल होगी.

चिकन के शौकीन हैं तो इसे न पढ़ना बहुत बड़ी भूल होगी.

Venky's जो मुर्गियों और चूज़ों का खाना बनाती है. इनमें टाइलोसिन और अमॉक्सिसीलिन जैसे एंटीबायोटिक्स होते हैं. जो उनके ग्रोथ को बढ़ावा देते हैं. इसे हाल ही में ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म ने एक रिसर्च में बहुत ही हानिकारक बताया है.

agriculture news venkys poultry antibiotics growth promotion drug resistance

ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म ने वेंकी के कई प्रोडक्ट्स को मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना है. 

Anilmals and birds / जानवरों या पक्षियों से इंसानों में संक्रमण का फैलना काफी भयावह होता है. बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू का उदाहरण हमने देखा है. 

    पता चला है कि पोल्ट्री यानी मुर्गी पालन के बिजनेस से जुड़ी एक बड़ी कंपनी इस तरह के दवाओं का इस्तेमाल कर रही है जो इंसानों के लिए खतरनाक है. कंपनी का नाम है वेंकीस, ये चूजों के लिए खाना, उनका तेजी से विकास हो इसके लिए प्रोडक्ट बनाती है. इस तरह के प्रोडक्ट्स को ग्रोथ प्रमोटर कहते हैं. यानी चूज़े जल्दी से बड़ेे हो जाएं. अब द ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म (TBIJ) ने ऐसी एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के मुताबिक Venky's ऐसे एंटीबायटिक्स की मार्केटिंग कर रही है जो काफी खतरनाक मानी जाती हैं.

ये रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी पोल्ट्री प्रोडक्शन में तेजी लाने के लिए कई सारे ऐसे प्रोडक्ट्स बेच रही है जिसमें ऐसी दवाएं मौजूद हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए घातक हैं. कई सारी महत्वपूर्ण एंटीबायटिक्स को प्रीवेंटेटिव यूज के तौर पर बेचा जा रहा है. (Preventive use प्रीवेंटेटिव यूज यानी किसी बीमारी के होने की आशंका से बचाव के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा). इस प्रैक्टिस को लेकर विवाद भी है क्योंकि इसमें बीमारी होने की आशंका को कम करने के लिए एक दिन के स्वस्थ पक्षियों को भी डोज दिया जाता है. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि ये जो एंटीबायटिक दवाएं चूजों को दी जा रही हैं वो इंसान के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक मानी जाती हैं. यह सब जानते है!

भारत के दक्षिण तेलंगाना की कम से कम दो पोल्ट्री फार्म्स में इस तरह की दवाओं के इस्तेमाल की खबर सामने आई है. TBIJ के मुताबिक इसमें से एक प्रीवेंटेटिव यूज के लिए था, और इसके लिए Venky's की वेबसाइट ने रिकमंड किया था. चूजों का विकास तेज करने के लिए एंटीबायटिक्स का इस्तेमाल यूरोपियन यूनियन के देशों और अमेरिका में बैन है. जबकि प्रीवेंटेटिव यूज कुछ अपवादों को छोड़कर यूरोपिय यूनियन के देशों में पूरी तरह से बैन ban है. विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने भी चूजों का तेजी से विकास करने या प्रीटेंटिव यूज में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करने का विरोध किया है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये दवाएं, उन दवाओं के प्रभाव को कम कर सकती हैं जो इंसानों में इंफेक्शन फैल जाने के बाद दी जाती हैं.


सन 2018 में TBIJ ने पता लगाया था कि Venky's कोलिस्टीन को 'ग्रोथ प्रमोटर' के तौर पर बेच रहा था. कोलिस्टीन का इस्तेमाल इंसानों में गंभीर संक्रमण के इलाज में अंतिम उपाय के तौर पर किया जाता है. मतलब कि ये अंतिम सहारा होती है. लेकिन इसका इस्तेमाल Venky's की ओर से चूजों में किया जा रहा था, ताकि उनका विकास तेजी से हो सके. जब ये खबर सामने आई तो काफी आलोचना हुई. जिसके बाद भारत सरकार ने दवा के इस तरह इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया. 

अब दुनियाभर में इसके क्या असर है? जानिए

साल 2019 में हुई एक स्टडी में क़रीब तेरह लाख लोगों की मौत AMR से जुड़े संक्रमण की वजह से हुई है. जो की HIV/AIDS और मलेरिया से मरने वाले लोगों के आंकड़े से भी ज्यादा है.

देखे AMR क्या है?

पोल्ट्री फार्मिंग में एंटीबायोटिक से AMR?

रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, कवक समय के साथ बदलते हैं और दवाओं पर प्रतिक्रिया नहीं करते हैं जिससे संक्रमण का इलाज करना कठिन हो जाता है. और बीमारी फैलने, गंभीर बीमारी और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है. दवा प्रतिरोध के परिणामस्वरूप, एंटीबायोटिक्स और अन्य रोगाणुरोधी दवाएं अप्रभावी हो जाती हैं और संक्रमण का इलाज करना कठिन या असंभव हो जाता है. इसका परिणाम यह होता है कि दवाइयां ऐसें इंफेक्शन पर असर नहीं करती, जिससे दूसरों को भी इंफेक्शन फैलने का खतरा बढ़ जाता है. जो बहुत ही खतरनाक है.

इसलीये सरकार को पोल्ट्री फार्मिंग में एंटीबायोटिक के अधिक इस्तेमाल को जल्द से जल्द संज्ञान में लेने की ज़रूरत है. ताकि इससे जुड़े रिस्क को कम किया जा सके. सरकार ने इस तरह की एंटीबायोटिक दवाओं को प्रतिबंधों की श्रेणी में रखा है. लेकिन इसके बावजूद भी इसका इस्तेमाल खूब हो रहा है. प्रत्येक साल मुर्गियों की वजह से खूब सारी नई-नई बीमारियां उत्पन्न होती है. मुर्गियों के सेवन मानव शरीर के लिए आज दिन प्रतिदिन बहुत खतरनाक साबित होता जा रहा है.